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|| तेल के लाभ ||

तेल बनाने की विधि: 500 ग्राम तिल का तेल लें और उसको एक कटोरे या एक बड़े डोंगें में डालके उसमे लंबी बत्ती डाल कर उस तेल की ज्योति जला लें। ज्योत किसी भी दिन, किसी भी जगह, कभी भी जला सकते हैं। 5 मिनट बाद उस बत्ती को चिमटी से पकड़ कर दूसरे बर्तन में रख दें और जलने दें। जिस तेल की आपने ज्योत जलाई उस तेल को आप सोते समय दर्द वाले भाग पर ऊपर से नीचे को लगाएं और लगा कर सो जाएं। घर से बहार न जाएँ। ये तो है रात को लगाने का तेल।

दूसरा - दिन में लगाने वाला तेल: 500 ग्राम तिल के तेल में रूपए का कपूर पीस के मिला लें। उसकी ज्योति नहीं जलानी है। कपूर मिले तेल से रोज दर्द वाले भाग पर नहाने के बाद मालिश करें। इस तेल को लगाकर आप कही भी जा सकते हैं। अगर आपको खाल की कोई बीमारी है, वह ठीक हो जाएगी। इस तेल को आप कैसे भी लगा सकते हैं। धीरे-धीरे आप हर बीमारी से ठीक हो जाएगें। आपके शरीर में अगर सफ़ेद दाग की बीमारी है तो वह भी बाबा की कृपा से ठीक हो जाएगी। इसमें किसी प्रकार अंदर बाहर जाने का परहेज़ नहीं है। एक मिनट से पैदा हुए बच्चे से लेकर 100 वर्ष का व्यक्ति भी इसे लगा सकता है।

दर्द का तेल लगाने की विधि: अगर आपको रीढ़ की हड्डी में दर्द हो तो सिर्फ रीढ़ की हड्डी में ही लगाएं और जगह नहीं। सबसे पहले अगर गर्दन में दर्द, कंधे में दर्द सर्वाइकल हो तो गर्दन से तेल नीचे की तरफ लगाना शुरू करें फिर कंधे पर नीचे की तरफ, फिर कमर के बीच से रीढ़ की हड्डी तक लगते हुए रीढ़ की हड्डी के सेंटर वाले भाग को अंगूठे से नीचे को दबाएं, दो या तीन बार, फिर दोनों हिप पर लगाएं, फिर पिंडलियों पर, फिर एड़ी और पंजो में अगर दर्द है तो नीचे को लगाएं परंतु यह क्रिया दर्द वाले भाग पर करनी है। अगर आपको सिर्फ गर्दन में ही दर्द है तो सिर्फ गर्दन पर ही लगाएं। काफी जगह नहीं। जहाँ दर्द हो वही लगाएं ।

तेल बनाने की विधि: 500 ग्राम तिल का तेल लें और उसको एक कटोरे या एक बड़े डोंगें में करके 5 मिनट लंबी बत्ती डाल कर उस तेल की ज्योति जला लें। 5 मिनट बाद उस बत्ती को