बाबा की बूटी के फायदे
जब भक्त बाबा की बूटी खाना शुरू करता हैं तो वह बड़ा भाग्यशाली होता है। क्योंकि बूटी खानी शुरू करने के बाद उसे संसार में किसी दूसरे
व्यक्ति का सहारा नही लेना पड़ता। बाबा की कृपा से हर भक्त सुबह उठते ही बाबा का नाम लेते हैं। नास्तिक से नास्तिक भी आस्तिक बन जाता है।
क्योंकि वह सुबह उठ कर यही कहता है बाबा की बूटी खानी हैं और वह भी गंगा जल के साथ। बूटी के साथ साथ बाबा जी भक्तों को गंगा जल
और तुलसी भी खिला रहे हैं और अपना नाम भी जिव्हा पर बुलवा रहे है। जो भक्त सुबह उठते ही बाबा का नाम लेता हैं ,उनका पूरा दिन अपने
आप ही अच्छा गुजरता हैं। फिर उसे किसी पूजा पाठ की जरूरत नही पड़ती। जब भक्त श्याम योग करता है तो भी भक्त 60 बार अपने प्रभु को
याद करता हैं।
रात को जब भक्त सोता हैं तो बाबा का घी , तेल लगाता हैं । तो वह घी/तेल के रूप में अपने प्रभु को याद करता है । भक्त
ये नही कहता की कोई दर्द वाला मलहम लगादो वह ये कहता है की बाबा की ज्योति वाला घी लगाना हैं। जब वह सोते हुए प्रभु का नाम लेकर सोता है।
तो उसे अपने आप ही अच्छी नींद आएगी। सुबह उठा तो भगवान् का नाम , रात को सोया तो भगवान् का नाम नींद
भी अच्छी और दिन भी अच्छा। तो फिर जीवन में खुशियां ही खुशियां आएगी। ये हैं बाबा के बताये हुए नुक्से के फायदे और जब हम इस संसार से विदा लेंगे
तब हमारे मुह में गंगा जल या तुलसी डालने की जरुरत नही होगी। कहा मिलती है तुलसी और गंगा जल खाने को रोज़ और तो और रोज़ प्रभु की झूठन
खाने को भी रोज़ मिलती हैं.. वह भाग्यवान हैं प्रभु का भक्त। प्रभु ने श्रृंगार की बूटी बना कर भक्तों पर उपकार किया हैं। जब इस शरीर रूपी काया को
रोज़ प्रभु का सहारा मिलेगा तो अपने आप ही रोग भाग जाये गए । अब वह दिन दूर नही जब भगवान् के श्रृंगार को बेकार नही फेंका जायेगा क्योंकि खुद प्रभु ने श्रृंगार से बूटी को बना दिया हैं ।
प्रभु कहते है जब भक्त मेरे मंदिर में फूल लेकर आता हैं. तो उसके फूल में कोई स्वार्थ नही होता भोजन में तो फिर भी स्वार्थ होता हैं की
भगवान् को भोग लगा कर पुजारी हमे प्रसाद के तौर पर कुछ वापिस देगा। भगत को ये लालसा होती है की कब भोग लगे और हमे मिले।
परंतु फूलों में तो किसी प्रकार की लालसा नही होती की हमे वापिस मिले। बस यही कहता नजर आता हैं की भगवान् का श्रृंगार कितना सुन्दर लग रहा
हैं। और प्रभु भी कितने सुन्दर लग रहें हैं। श्रृंगार में होते हैं भक्त के प्रेम भरे भाव। तभी तोह बनाई श्याम ने श्रृंगार से बनी बूटी।