जिस शक्ति को हम मानते हैं वह शक्ति भी सर्वशक्ति को मानती हैं और फिर भी वह शक्ति सर्वशक्ति से कहती है हे प्रभु मेरे भक्त की रक्षा करना।
सभी भक्तों को जानकार यह हर्ष होगा की श्याम बाबा ने भक्तों को रोग से दूर करने के लिए अपने श्रृंगार से बूटी बनाई हैं. जिसका सेवन प्रातः काल में बिना कुछ खाये पीये किया जाता हैं। आप प्रातः काल में उठे और सबसे पहले सादे जल में गंगा जल थोड़ा से मिला कर बूटी की चुटकी लेकर गंगा जल में मिलाये और खाली पेट खाये। आप देखेगे की आपके शरीर में धीरे धीरे शक्ति पैदा होने लगी हैं और आप निरोगी रहने लगे हैं।
दूसरा खुद श्याम बाबा ने अपने ज्योति रूप घी व तेल से एक प्रकार का इतर रुपी तेल बनाया हैं। जिसको दर्द वाले भाग पर लगाने से दर्द खुद ठीक होजाता हैं।
जो भक्त कहते हैं हमे दर्द रहता हैं और हम बिना दवाई खाये रात को सो नही सकते। वह भक्त देखेगे की बाबा का इतर वाला तेल लगाने से उनका दर्द ठीक होने लगा और रात को नींद भी आने लगेगी।
आपका कैसे भी रोग या दर्द हो। अपने आप ठीक हो जायेगा। चर्म रोग कैसा भी हो ठीक हो जायेगा।
दो परहेज करने है इसे पहले अपने ये परहेज नहीं सुने होंगे न देखे होंगे।
1. आम का तेल वाला आचार नहीं खाना है बाकी आम और उसके सारे व्यंजन खाने हैं । वे बाकी सारे आचार खा सकते है जैसे - मिर्च , नींबू, हींग आदि।
2. पानी का गोलगप्पा पानी भर कर नही खाना चाहिए बाकी सारी चाट खा सकते हैं। कोई तेल घी का परहेज नही हैं।
आपको खाना हैं उसमे इन दो चीजो को छोड़कर आप सब कुछ खा सकते हैं। चाहे आप मासांहारी ही क्यों नही हैं आप अपना मासांहारी भोजन खा सकते हैं। पर बाबा के दो परहेज करने होंगे।
खाने की विधि - सुबह उठ कर सबसे पहले खाली पेट बूटी को चाट ले ऊपर से गर्म पानी में गंगा जल मिलकर आधी कटोरी पी ले।
बाबा के श्रृंगार से बनी बूटी सारे रोगों की एक दवाई हैं। जोत से बने घी को शरीर पर रोग वाली जगह पर लगाए। बाबा की बूटी खाने से शरीर में कमजोरी भी दूर हो जाती हैं.
भक्तों जब आप हर प्रकार का उपाय कर कर हार जाए तो आप श्याम बाबा का बताया हुआ उपचार जरूर करे। आपको अवश्य ही लाभ होगा जैसे-
1. अगर आपको बच्चा होने में किसी प्रकार की दिक्कत हैं
2. व्यपार या नौकरी में लाभ नही हैं।
3. पितृ दोष हों।
4. दवाई का असर नही हो रहा हो किसी कारणवश।
5. बार बार बीमार होना।
6. ग्रहो का दोष
7. नजर में आ जाना
8. वास्तु का दोष होना
9. मानसिक तनाव (डिप्रेसन) होना
10. पढ़ाई या दूसरे कामो में मेहनत का फल ना मिलना
11. नवजात शिशु या एक साल के बच्चे को निमोनिया (pneumonia) न हो उसके लिए केले के सेवन का परहेज केवल एक साल की उम्र तक।